
: हर मोर्चे पर विफल है मोदी सरकार- नीरज राय
Fri, Jul 9, 2021
लखनऊ ।
तृणमूल कांग्रेस के उत्तरप्रदेश के अध्यक्ष नीरज राय ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की व्यवस्था और देश के मुद्दों को जिस तरीके से केंद्र सरकार नजर अंदाज कर रही है उसे यह प्रतीत होता है कि सरकार का मुख्य मुद्दा मंत्रिमंडल में फेरबदल ही रह गया है। अति आवश्यक मुद्दे जैसे कि किसान, कृषि क्षेत्र, रसोई गैस, पेट्रोल एवं डीजल की कीमती जो निरंतर आसमान छूती जा रही है उससे सरकार और उसके अभियान को कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। एक तरफ जहां महंगाई की मार से जनता परेशान है वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी है जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही। भारत की जनता ने केंद्र सरकार का चुनाव बड़ी-बड़ी घोषणाएं और बड़े-बड़े वादों के लिए नहीं किया था, जनता का वोट करने का मकसद जनता की भलाई होता है जो मौजूदा सरकार में दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रही है। किसानों की नाराजगी साफ साफ दिखाई दे रही है जिसकी वजह से किसान खुलकर अब विरोध प्रदर्शन करने लगे हैं। जहां केंद्र सरकार को चाहिए था कि वह किसानों की समस्या पर विचार करें ठीक सरकार ने किसानों पर ही लाठीचार्ज करवा दिया दूसरे शब्दों में कहें तो उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के निर्देशन से उत्तर प्रदेश तृणमूल कांग्रेस द्वारा केंद्र सरकार को इन्हीं मुद्दों पर घेरने का विचार किया गया है । जनता के हित को देखते हुए दिनांक 10 और 11 जुलाई 2021 प्रातः 11:00 बजे शाम 4 बजे तक गांधी प्रतिमा,जीपीओ हजरतगंज लखनऊ में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शन का मकसद गांधीजी के अहिंसा धर्म को अपनाते हुए एक राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व करते हुए जनता के लिए और जनता के हक के लिए आवाज उठाना है जिस का अधिकार भारत का संविधान हर भारतीयों को देता है।

: कल्याण सिंह का जिक्र कर भावुक हुए पीएम मोदी।
Fri, Jul 9, 2021
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पौत्र से बात की और अस्वस्थ कल्याण सिंह जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। प्रधानमंत्री ने कल्याण सिंह जी के साथ अपने संबंधों को याद करते हुये कहा कि उनके साथ बात करने से हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता था और नया अनुभव होता था।अपने कई ट्वीटों में प्रधानमंत्री ने कहा हैः
“देशभर में असंख्य लोग कल्याण सिंह जी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना कर रहे हैं। कल जे.पी. नड्डा जी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी और अन्य लोग उनसे मिलने अस्पताल गये थे। मैंने अभी उनके पौत्र से बात की थी और उनका हालचाल पूछा था। मैं यह जानकर अभिभूत हो गया हूं कि जेपी नड्डा जी से बातचीत करते हुये कल्याण सिंह जी ने मुझे याद किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावुक होते हुए कहा कि मेरे पास भी कल्याण सिंह जी के साथ उठने-बैठने, बातचीत करने की कई यादें हैं। तमाम यादें ताजा हो गई हैं। उनके साथ बात करके हमेशा कुछ न कुछ सीखने को मिलता था और नया अनुभव होता था।”

: आखिरकार एक ही मन्त्रीपद पर क्यों मान गए नीतीश?
Thu, Jul 8, 2021
पटना । कैबिनेट फेरबदल को लेकर हो रहे तमाम सियासी अटकलों और कयासों को ध्वस्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस कैबिनेट टीम में जीत के ठीक दो साल बाद जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू की एंट्री हुई है। मंत्रिमंडल विस्तार में एनडीए के घटक दल जेडीयू के एक मात्र नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को जगह मिली। कभी जदयू कोटे से तीन-चार मंत्री पद की मांग करने वाले नीतीश कुमार को इस बार एक ही पद से संतोष करना पड़ा है। अब सवाल उठता है कि 2019 एक पद के लिए इनकार करने वाले नीतीश कुमार को अब वही एक पद कैसे स्वीकार हो गया। दरअसल, इसके पीछे बीते दो सालों के सियासी घटनाक्रम हैं, जिसकी वजह से नीतीश कुमार को केंद्र में एक ही मंत्री पद से संतुष्ट होना पड़ा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2019 में भाजपा की ओर से केंद्रीय कैबिनेट में एक मंत्री पद के ऑफर को ठुकरा दिया था। उस वक्त नीतीश कुमार ने चार मंत्री पद की मांग की थी, मगर जब पीएम मोदी ने उनकी मांग पर भाव नहीं दिया तो नीतीश कुमार ने शामिल होने से साफ तौर पर इनकार कर दिया और कहा था कि उनकी पार्टी सांकेतिक तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी। मगर हकीकत यह है कि दो साल बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तब भी जदयू को एक ही मंत्री पद मिला। यहां ध्यान देने वाली बात है कि साल 2019 के नीतीश और मौजूदा वक्त के नीतीश में काफी अंतर आ गया है। 2019 में नीतीश कुमार काफी मजबूत स्थिति में थे और उस वक्त वह फ्रंटफुट से खेल रहे थे, क्योंकि उनके पास विधायकों की संख्या भाजपा की तुलना में अधिक थी। मगर आज उनका वह तेवर गायब होता दिख रहा है। इसकी वजह है बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का रिजल्ट। बिहार में चुनाव से पहले नीतीश कुमार की जदयू एनडीए गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में थी, मगर चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ गई। 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू महज 43 सीट जीतने में सफल हो पाई, वहीं भाजपा ने 73 सीटों को जीतकर जदयू के काफीप समय से बढ़े सियासी भाव को एक झटके में कम कर दिया। लोकसभा चुनाव तक नीतीश कुमार का तेवर अलग ही दिखता था। उस वक्त 2019 में नीतीश कुमार ने भाजपा की ज्यादा सीटों की मांग को मानने से इनकार कर दिया था और बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर भाजपा और जदयू ने फिफ्टी-फिफ्टी फॉर्मूला पर चुनाव लड़ा था। भाजपा और जदयू जहां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ी, वहीं 6 सीटे लोजपा के खाते में गई थी। इस चुनाव में जदयू, भाजपा से एक सीट कम ही जीत पाई। उसके बाद से ही भाजपा के सामने नीतीश कुमार की सियासी धमक कम होती दिखने लगी। जदयू कोटे से मंत्री बनने के सवाल पर वह झेपते नजर आए और आरसीपी सिंह का हवाला देकर बचते दिखे। उन्होंने कहा कि भाजपा से बातचीत के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ही अधिकृत हैं और वही फैसला लेंगे। इस बार नीतीश कुमार के एक मंत्री पद स्वीकार करने की अंदरखाने एक और वजह बताई जाती है कि कम संख्या के बाद भी नीतीश कुमार को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाकर रखा है, इसलिए भी अब नीतीश कुमार पहले की तरह बार्गेनिंग करने की स्थिति में नहीं हैं।